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लेखनी प्रतियोगिता -23-Apr-2022झगडा़लू पडौ़सिन

        आनन्दी जब शादी होकर अपनी ससुराल आई थी  तब उसकी उम्र लगभग पन्द्रह या सोलह की थी। उसे भले बुरे का कोई  ज्ञान नही था।


      आनन्दी की सास ने उसे अपने पडौ़स मे रहने वाली बैकुन्ठी के बिषय में समझाया था कि यह औरत बहुत ही झगडा़लू है इससे हमेशा बच कर रहना।

      आनन्दी  बैकुन्ठी से हमेशा बच कर ही रहती थी । परन्तु पडौ़सिन होकर बचना बहुत ही कठिन होता था।

     जब तक आनन्दी की सास उसके पास रहती थी  तब तक उसे कोई चिन्ता नहीं होती थी। जब आनन्दी की सास कभी अपने मायके चली जाती थी तब आनन्दी बैकुन्ठी से बचकर रहती थी।

        बैकुन्ठी को किसी से झगडा़ करने का बहाना चाहिए होता था। एक बार की बात थी कि आनन्दी की सास  अपने मायके गयी हुई थी । बैकुन्ठी  को मौका मिलगया वह आनन्दी के पास आकर आनन्दी की सास की बुराई करने लगी।

      बैकुन्ठी आनन्दी के पास आई और उससे उसीकी सास की बुराई करने लगी। आनन्दी पहले तो सुनती रही जब उससे ज्यादा नही सुना नहीं गया तब उसने उनको फटकार लगाई।

आनन्दी ने जबाब देते हुए  कहा," जैसी भी है वह मेरी सास है मुझे डाटेंगी  भी वही और प्यार भी वही करेंगी आप कौन होती हो हमारे बीच में बोलने वाली।"

      आनन्दी का जबाब सुनकर बैकुन्ठी भुनभुनाती हुई वहाँ से चली आई।और जब आनन्दी की सास वापिस आई तब उनको आनन्दी ने पूरी बात बतादी  आनन्दी की सास समझ गयी कि  बैकुन्ठी अपनी आदत कभी भी नही भूल सकती है।

     जैसे ही आनन्दी की सास को बैकुन्ठी मिली वह उनसे आनन्दी की शिकायत करने लगी।कि तेरी बहू बहुत खराब है उसने मेरी बेइज्जती करदी थी।

   आनन्दी की सास ने बैकुन्ठी को समझाया कि आनन्दी से बचकर रहना वह मुझे हीनही कुछ समझती तो आप किस खेत की मूली हो।

      बैकुन्ठी अब आनन्दी से अपनी बेइज्जती का बदला लेने की सोचने लगी। एक दिन बच्चौ की लडा़ई के कारण उसे मौका मिल गया। उस दिन बैकुन्ठी ने आनन्दी के साथ बहुत झगडा़ किया 

     उस दिन भी आनन्दी की सास कहीं बाहर गयी थी। जिससे बैकुन्ठी को मौका भी सही मिल गया।  उस दिन बैकुन्ठी ने उससे बहुत बुरा भला कहा।

       कुछ  ही दिन बाद बैकुन्ठी की तबियत अचानक बहुत खराब होगयी  उस दिन बैकुन्ठी के घर कोई नहीं था। सभी परिवार के लोग किसी शादी समारोह में बाहर गये हुए थे।

     रात को तबियत खराब हौने के कारण वह सुबह घर से बाहर नही आ सकी।

      जब आनन्दी देखा कि आज झगडा़लू  पडौ़सिन का दरवाजा भी बन्द है और बैकुन्ठी कहीं भी घूमती हुई नही दिखाई दे रही है। तब आनन्दी की चिन्ता बढ़ गयी और उसने बैकुन्ठी के साथ हुए झगडे़ को भुलादिया और उनका दरवाजा खट खटाया।

     बैकुन्ठी से बहुत ही मुश्किल से उठागया और आकर अपना दरवाजा खोला । अपने सामने आनन्दी को देखकर उसे पहले तो बहुत आश्चर्य हुआ। 

बैकुन्ठी ने आनन्दी से पूछा," बहू क्या बात है? कैसे आई है ?"

आनन्दी ने उत्तर देते हुए कहा " चाचीजी आज आपका दरवाजा बन्द देखकर मुझे चिन्ता होगयी थी इसलिए आपकी खबर लेने आई हू़ँ आप कुछ परेशान लग रही हो मैं आपके लिए अभी चाय बनाकर लाती हूँ। " 

      आनन्दी की बात सुन्र बैकुन्ठी को बहुत लज्जा आई और बोली,"  नही बहू मै ठीक हूँ। "

      आनन्दी बोली," नहीं चाचीजी झगडा़ अपनी जगह है सबसे पहले हम पडौ़सी है। हमें एक दूसरे की परेशानी मे ही काम आनाहै रिश्तेदार तो बाद में आयेगे। आप पुरानी बात भूलजाओ।"

       इतना कहकर आनन्दी अपने घर जाकर फटाफट चाय बनाकर लाई और उनको पिलाई।  आज बैकुन्ठी को अपनी झगडा़लू आदत पर बहुत लज्जा आरही थी।

      बैकुन्ठी  आनन्दी से हाथ जोड़कर क्षमा मागने लगी तब आनन्दी ने उनके हाथ पकड़ लिए और बोली," नहीं चाचीजी  आप यह क्या कर रही हो मुझे शर्मिन्दा मत करो। "

      इसके  बाद आनन्दी ने गाँव का डाक्टर बुलाकर उनका इलाज करबाया और उनके खाने की ब्यबस्था भी की थी  ।

      उस दिन के बाद बैकुन्ठी ने झगडा़ करना बन्द कर दिया और अपनी  आदत बदलली


       

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10 Comments

Punam verma

24-Apr-2022 07:40 AM

Very nice

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Renu

23-Apr-2022 11:20 PM

बहुत सुंदर

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Shrishti pandey

23-Apr-2022 09:47 PM

Very nice sir

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